बुधवार, 25 मार्च 2009

मनमोहन जी ये बताइए कि आपने क्या किया?

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी जनसभाऒं में बोलना सीख गए हैं। वह इसलिए भी उत्साहित हैं क्योंकि राजमाता ने उन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार भी घोषित कर दिया है। मुंह से हिन्दी भी फूटने लगी है। तो उन्होंने सोचा कि क्यों न आडवाणी जी पर हमला बोलकर राजनीतिक बढ़त हासिल कर ली जाए। पश्चिम से प्रभावित एक अर्थशास्त्री जितनी अच्छी राजनीति कर सकता था, उन्होंने की। जो जी में आया बोल दिया। आडवाणी जी ने ये नहीं किया, आडवाणी जी ने वो किया। और भी जाने क्या-क्या।

लेकिन मनमोहन जी, अगर भाजपा से कुछ गलतियां हुईं थी, तो जनता उस बारे में अपना फैसला २००४ में ही सुना चुकी है। और उसके बाद आपके भाग्य से छीका फूट गया। अब जबकि आप पांच साल तक सत्ता सुख भोग चुके हैं तो आपको यह बताना चाहिए कि इस दौरान आपने क्या किया। अब तो जनता आपसे सवाल कर रही है।

लेकिन मनमोहन सिंह भी भला क्या करें। इस सरकार ने पिछले ५ वर्षों के दौरान सिवाए अय्याशी के कुछ किया ही नहीं है। ठीक उसी तरह जैसे एक मितव्ययी पिता की बिगड़ैल संताने करती हैं। अटल जी की सरकार ने सख्त अनुशासन, सूझ-बूझ और संयम की बुनियाद पर विकास की जो इमारत खड़ी की थी, उस इमारत में पहले तो जलसे होते रहे और अब विरासत में मनमोहन सिंह खड़हर छोड़ कर जा रहे हैं।

जब देश में महंगाई, बेरोजगारी और असुरक्षा बढ़ रही थी तो हमारे प्रधानमंत्री वर्ल्ड बैंक की गोद में बैठे थे। वहां से सब हरा ही हरा दिखता है। देश की असली तस्वीर छिप जाती है। मनमोहन सिंह तो रात में इसलिए नहीं सो पाते थे कि कहीं अगर परमाणु समझौता नहीं हो पाया तो बुश साहब को क्या मुंह दिखाएंगे। देश की जनता की तो उन्हें परवाह ही नहीं थी।

लेकिन अब किस मुंह से जनता के बीच जाएंगे। बड़ी संख्या में नौजवान बेरोजगार हो रहे हैं। देश आतंकी हमलों की प्रयोगशाला बन गया है। किसानों की बदहाली जारी है और आत्महत्याएं अभी थमी नहीं हैं। लेकिन कांग्रेस के युवराज इतने से ही खुश हैं कि कलावती (विदर्भ की एक महिला जिसका जिक्र राहुल गांधी ने संसद में किया था) को बिजली का कनेक्शन मिल गया है।
कल के अंक में मनमोहन सरकार की उपलब्धियों के बारे में चर्चा जारी रहेगी।
-अमित पाण्डेय